Group Captain Angad Pratap: अंतरिक्ष में जाएंगे प्रयागराज के कैप्टेन, जाने क्या है मिशन
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Group Captain Angad Pratap shaking hands with PM of India
17 जुलाई 1982 को प्रयागराज में जन्मे अंगद प्रताप (Angad Pratap) की इस उपलब्धि पर शहर के लोग गदगद हैं। राजापुर निवासी सौरभ सिंह कहते हैं कि अंगद प्रताप के शौर्य और साहस पर हम सबको नाज है। इसी तरह मीरापुर निवासी मंचल गुप्ता ने भी भी ग्रुप कैप्टन अंगद को अतरिक्ष यात्री के रूप में चुने जाने पर शुभकामनाएं दी।
संगमनगरी के लाल वायु सेना के ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप (Group Captain Angad Pratap) ने देश ही नहीं पूरी दुनिया में शोहरत और बुलंदी का झंडा गाड़ दिया है। अंतरिक्ष यात्री के रूप में उनको मिशन गगनयान में शामिल किए जाने पर शहरवासी खुशी से झूम उठे हैं। अंगद प्रताप को पृथ्वी के ऑर्बिट में 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीन दिनों के लिए भेजा जाएगा।मिशन गगनयान के एस्ट्रोनॉट अंगद प्रताप वायुसेना में फाइटर और टेस्ट पायलट हैं। वह अभी ग्रुप कैप्टन के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं।
It was a very special moment for me to hand over wings to the four Indian astronaut-designates. They reflect the hopes, aspirations and optimism of 140 crore Indians.
India is proud of Group Captain Prasanth Balakrishnan Nair, Group Captain Ajit Krishnan, Group Captain Angad… pic.twitter.com/i0oseaxd4o
— Narendra Modi (@narendramodi) February 27, 2024
अंगद भारतीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy) के छात्र रहे हैं। 18 दिसंबर 2004 में उन्हें वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में शामिल किया गया था। उनके पास फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट का करीब 2000 घंटे का अनुभव है। अंगद सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और एन-32 जैसे विमान और फाइटर जेट्स उड़ा चुके हैं।
आइये जानते हैं कि गगनयान मिशन है क्या? मिशन में अभी क्या हुआ है? अंतरिक्ष मानव मिशन का हिस्सा बनने वाले यात्री कौन हैं? मिशन में अब तक क्या हो चुका है? आगे क्या होगा?
पहले जानते हैं कि गगनयान मिशन (Gaganyaan mission) क्या है?
गगनयान देश का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है जिसके तहत चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष की सैर कराई जाएगी। इस मिशन को 2024 के आखिर या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है। इसी साल मानव रहित परीक्षण उड़ान होगी, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा। गगनयान मिशन तीन दिवसीय है। मिशन के लिए 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा पर मानव को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और फिर सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा।
मिशन में अभी क्या हुआ है?
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार (27 फरवरी) को केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र का दौरा किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने गगनयान मिशन की तैयारियों की समीक्षा की और मिशन पर जाने वाले चार भारतीयों को सम्मानित किया। अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों में ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं।
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मिशन में अब तक क्या-क्या हुआ है, आगे क्या होना है?
गगनयान मिशन को कई चरणों के जरिए सफलता के अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। गगनयान में क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) सबसे खास है। अक्तूबर 2023 में किया गया परीक्षण वाहन टीवी-डी1 का प्रक्षेपण गगनयान कार्यक्रम के चार मिशनों में से पहला था।
टीवी-डी-1 टेस्ट मिशन (Test Vehicle Abort Mission-1) की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग कई मायनों में अहम है। दरअसल, 2025 में जब भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान के तहत अंतरिक्ष यात्री धरती से 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में तीन दिन बिताने जाएंगे, तब किसी भी वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को नहीं खोना पड़े, इसके लिए कुल छह परीक्षण की शृंखला में यह पहला परीक्षण था।
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इसरो के इस परीक्षण से क्रू इस्केप सिस्टम (सीईएस) की क्षमता और दक्षता के बारे में विस्तार से जानकारी मिली। इसके अलावा किसी आपात परिस्थिति में अभियान को बीच में ही रद्द किए जाने पर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बचाने की रणनीति को सेफ बनाने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष इसरो के मुताबिक, फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन1 में किसी अनहोनी की दशा में अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने में यह क्रू-एस्केप प्रणाली काम आएगी। उड़ान भरते समय अगर मिशन में गड़बड़ी हुई तो यह प्रणाली क्रू मॉड्यूल के साथ यान से अलग हो जाएगी, कुछ समय उड़ेगी और श्रीहरिकोटा से 10 किमी दूर समुद्र में उतरेगी। इसमें मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को नौसेना की ओर से समुद्र से सुरक्षित वापस लाया जाएगा।
इसके बाद दूसरा परीक्षण वाहन टीवी-डी2 मिशन और गगनयान (एलवीएम3-जी1) का पहला मानव रहित मिशन होगा। परीक्षण वाहन मिशन (टीवी-डी3 और डी4) की दूसरी श्रृंखला और रोबोटिक पेलोड के साथ एलवीएम3-जी2 मिशन की अगली योजना बनाई गई है। एजेंसी के मुताबिक, चालक दल मिशन की योजना सफल परीक्षण वाहन के नतीजे और उन मिशनों के आधार पर बनाई गई है जिनमें कोई चालक दल नहीं है।
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मिशन से क्या हासिल करेगा भारत?
गगनयान मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों की एक खास सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने खुद चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। वर्तमान में ऐसा मुकाम हासिल करने वाले देश केवल अमेरिका, रूस और चीन ही हैं।
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कब होगी लॉन्चिंग?
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक बयान में कहा था कि गगनयान मिशन के लिए चुने गए अंतरिक्ष यात्री 2025 में उड़ान भरने का इंतजार कर रहे हैं। सोमनाथ ने कहा था, ‘चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद इसरो गगनयान मिशन को संभव बनाने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए दिन-रात काम कर रहा है। अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित वापस लाना इस मिशन का बेहद महत्वपूर्ण पहलू है। इसे संभव बनाने के लिए हमें बहुत सारी तकनीक विकसित करने की जरूरत है और हम इसे संभव बनाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में इसके लिए कई तकनीकों को नए सिरे से विकसित और सफल बनाया गया है।
For complete details about this mission visit/click here: https://www.isro.gov.in/Gaganyaan.html
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