महाकुम्भ द्वार से हटा दी गई महादानी हर्षवर्धन की प्रतिमा
1 min readPrayagraj Updates: महाकुंभ में साधु- संतों को सारा खजाना दान करने वाले सम्राट हर्षवर्धन की दो दशक पुरानी प्रतिमा बृहस्पतिवार को कुंभ मेला क्षेत्र से बाहर कर दी गई। मेला प्रशासन के निर्देश पर आधी रात को लोक निर्माण विभाग ने अलोपीबाग तिराहे पर लगी उनकी प्रतिमा करीब 500 मीटर दूर सीएमपी डॉट पुल चौराहे पर स्थापित करा दी।
उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों पर 606 से 647 ईस्वी तक शासन करते हुए कन्नौज के चक्रवर्ती सम्राह हर्षवर्धन ने ही महाकुंभ की सांस्कृतिक महिमा को लोकप्रिय बनाया था। सम्राट हर्षवर्धन हर कुंभ में पूरे लाव- लश्कर के साथ यहां आते और संतों की शरण में प्रवास करके पूरा खजाना खाली करके लौट जाते थे।
उनके मानवता और जनकल्याण के लिए किए दान- धर्म की बदौलत ही आज महाकुंभ इतने दिव्य-भव्य रूप में सामने है। चीनी यात्री ह्वेनसांग सहित कई इतिहासकारों ने भी इसका उल्लेख किया है।
महादानी सम्राट हर्षवर्धन के योगदान को देखते हुए ही दो दशक पहले कुंभ क्षेत्र के मुख्य प्रवेश द्वार (अलोपीबाग चौराहे) पर उनकी आदमकद प्रतिमा लगाई गई थी। जगह का नाम भी पड़ा हर्षवर्धन चौराहा।
बृहस्पतिवार को रातोंरात यह प्रतिमा मेला प्रशासन के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने यहां से हटवा दी। जेसीबी की मदद से इसे मेला क्षेत्र से करीब पांच सौ मीटर दूर सीएमपी डॉट पुल चौराहे पर पहुंचा दिया गया है। शुक्रवार सुबह प्रतिमा न देखकर लोग आश्चर्यचकित रह गए।
‘महा’ पैसा बटोरनेवाले भाजपाई, ‘महादानी’ का सम्मान कभी नहीं कर सकते हैं।
‘महादानी राजा हर्षवर्धन’ की प्रतिमा का विस्थापन सांस्कृतिक परंपरा का अपमान है। हम भविष्य में उनकी प्रतिमा को ‘मूल संगम क्षेत्र’ में पुनर्स्थापित कर उनके मान-सम्मान की पुनर्स्थापना करेंगे। pic.twitter.com/ajd9WHFQsY
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 21, 2024
सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ट्वीट किया है। साथ ही भविष्य में राजा हर्षवर्धन की प्रतिमा को उसके मूल स्थान पर ससम्मान पुनर्स्थापित करने का संकल्प लिया है।
News Credit: Amar Ujala